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लेखनी कहानी -08-august -2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 27



"श्रुति आखिर किया आईडिया आया है तेरे दिमाग़ में जल्दी बता  " हंशित ने कहा


"बताती हूँ, बताती हूँ थोड़ा  सब्र तो कर, इश्क़ किया है  तो थोड़ा  सब्र करना भी सीखो, सब्र का फल मीठा होता है ये कहावत तो सुनी होगी तुमने क्यू ना " श्रुति ने कहा हॅस कर


"यार श्रुति फिलिओसफी मत झाड , साफ साफ बता  मेरा और इम्तिहान मत ले " हंशित ने कहा

"मोहब्बत तो इम्तिहानो से भरी होती है  मेरे दोस्त तू तो अभी से थक गया , आगे क्या होगा तेरा " श्रुति ने कहा

"आगे का बाद को सोचूंगा  पहले ये बता  तेरे दिमाग़ में क्या आईडिया आया है  प्लीज् यार " हंशित ने थोड़ा गिड़गिड़ाते हुए कहा

"अच्छा ठीक है  रो मत बताती हूँ, देखो बात यूं है की वैसे तो हमने सारी जगह घूम ली है , सारी जगह हमें हिमानी ने दिखा दी है और कुछ हमने खुद गाड़ी में ड्राइवर के साथ देख ली है , लेकिन अभी भी कुछ जगह बाकी है  जहाँ हम नही गए है  जो मैंने इंटरनेट पर देखी है  और जो यहाँ से दूर भी नही है , इसलिए जब दो दिन बाद हिमानी हमें लेने आएगी तब हम  उस जगह चलने का कहेँगे  " श्रुति और कुछ कहती तब ही हंशित बोल पड़ा  " उस जगह ऐसा किया है  "


"बताती हूँ मेरे भोले पंछी  उस जगह ऐसा किया है , उस जगह ज्यादा सेलानी नही जाते है  क्यूंकि वो जगह जंगल और गुफाओ से घिरी है । इसलिए वहा  तुम दोनों को बात करने का मौका मिल जाएगा लेकिन याद रखना  गुम मत जाना उस जंगल में हम  लोग पीछे से तुम्हारा साथ छोड़  देंगे वहा  तुम दोनों ही होगे अपने दिल की बात कहने के लिए और हाँ जल्दी बात खत्म करना क्यूंकि मैंने सुना है  वो जंगल बहुत सारे जंगली जानवरो का गड़ है  इसलिए वक़्त रहते अपने दिल की बात एक दूसरे को कह कर आ जाना नही तो उस जंगल में फ़स गए तो फिर भगवान ही तुम्हे बचा सकते है  " श्रुति ने कहा


"वाह क्या आईडिया है  तेरा, जंगल  में दो प्यार करने वाले जंगली जानवरो का डर, शाम  होने का डर  तेजी से धड़कता दिल, दिल की बात लबों पर आती हुयी वाह क्या रोमांटिक सीन होगा क्या हम  लोग भी चलेंगे वहा  " लव ने कहा


"ए गधे तू ज्यादा रोमांटिक मत हो पहले ये सोचो की हिमानी वहा  जाने के लिए राज़ी भी हो पायेगी या नही " हंशित ने कहा

"ये सब  तू मुझ पर छोड़  दे मैं हूँ ना फिर किस बात की टेंशन , तुम दोनों को तो मिलवाकर रहूंगी फिर चाहे उसके लिए मुझे किसी का खून भी करना पड़ा  तो पीछे नही हटऊंगी" श्रुति ने कहा

"आखिर कैसे क्या तू सच में किसी का खून करेगी " कुश ने पूछा 

"हाँ करूंगी  " श्रुति ने जवाब दिया

"किसका" कुश ने हैरानी से पूछा 

"तेरा और किसका इस तरह के फ़िज़ूल सवाल पूछने के लिए  और सबका दिमाग़ ख़राब करने के लिए  " श्रुति ने कहा उसके सर पर मारकर


ये सुन सब लोग हसने लगे ।

हंशित कही खो सा गया।

"हाँ भाई कहा खो गया  तू, अभी दो दिन बाकी है  तू क्या अभी से भाभी को अपनी बाहो में तसव्वुर करने लगा  " जॉन ने पूछा 

"नही यार सोच रहा हूँ, ये दो दिन कैसे कटेंगे उसे देखे बिना " हंशित ने कहा

"कट जाएंगे, दो दिन की ही तो बात है  और मेहबूब से मिलने के इंतज़ार में ही तो मज़ा है  तब  ही तो प्यार का पता चलता है  कि कितना गहरा है  " लव ने कहा


"वाह वाह इधर तो देखो कितना पता है  साहब को प्यार के बारे में" श्रुति ने लव कि तरफ देख  कर कहा

"में,,,,, में,,,,, मैं तो बस  ऐसे ही कह  रहा था  किसी फ़िल्म में सुना था शायद  " लव ने नज़रे चुराते और हकलाते हुए कहा


"ठीक है  ठीक  है  शर्मा मत, तेरी भी प्रेम कहानी आगे बढ़वा दूंगा  पहले मेरी कहानी को तो ख़त्म होने दे " हंशित ने कहा


"यार हंशित  कैसी बातें करता है , कहानी खत्म हो तेरे दुश्मनों की।" जॉन ने कहा

"मेरा मतलब प्यार की कहानी, मेरे और हिमानी के अमर प्रेम की कहानी  " हंशित ने बात को आगे  बढ़ाते हुए कहा

"अमर प्रेम कहानियाँ कभी  ख़त्म नही होती मेरे प्यारे दोस्त वो अपने नाम की तरह दिलों में अमर रहती है  कहने को तो वो दुनियां की नज़र में ख़त्म हो जाती है लेकिन दिलों में ज़िंदा रहती है तभी तो वो अमर प्रेम कहानियाँ कहलाती है जैसे रोमिओ -जूलीॉट, हीर -रांझा और भी ना जाने कितनी ही ऐसी प्रेम की अमर कहानियाँ लिखी हुयी जो आज भी लोगो के दिलों में ज़िंदा है " श्रुति ने कहा


"तुझे बहुत पता है प्यार की कहानियों के बारे में, क्या तूने भी कभी किसी से प्यार किया है " कुश ने पूछा


"मैं, और प्यार, मैं इस प्यार व्यार के चककर में नही पड़ना चाहती हूँ मैं तो ऐसी ही खुश हूँ, अकेली अपने आप में मग्न, आज़ाद पंछी की तरह जहाँ दिल चाहा उड़ गयी " श्रुति ने कहा


"अच्छा है, मुझे ख़ुशी है उस बेचारे के लिए जो तुझसे शादी करके फस जाता चलो अब तूने ही मना कर दिया तो बेचारे को कोई ढंग की संस्कारी लड़की मिल जाएगी वरना बेचारा अपनी पत्नि को साड़ी में देखने का और सोलाह श्रृंगार किए हुए देखने का अरमान लिए ही इस दुनियां से चला जाता एक दिन  क्यू ना दोस्तों " लव ने कहा और ज़ोर से हसा

उसके साथ हंशित और बाकी सब भी हसने लगे।

श्रुति ने बुरा सा मुँह बनाया और बोली हॅस लो हॅस लो देखना एक दिन तुम सबकी पत्नियां तुम्हे सबक सिखाएंगी औरत की हसीं बनाने पर, जब तुम सब उनकी उंगलियों पर नाचोगे और काम से लौटते समय हाथ में बाजार से धनिया पत्ती और दूध लेकर आओगे तब तुम सबको मेरी याद आएगी की एक लड़की थी जिसका हम सब मज़ाक बनाया करते थे और वो कुछ नही कहती थी शायद उसी का सिला हम लोगो को मिला है।


उन लोगो पर कोई असर नही हुआ तब श्रुति ने तकया फेक कर मारा और बाद में वो एक घमासान युद्ध में तब्दील हो गया आखिर में पड़ोस के रूम से शिकायत आयी उन्हें डिस्टर्ब करने की तब जाकर वो लड़ाई रुकी। और सब थक कर बिस्तर पर गिर गए।


हंशित, हिमानी के खयालो में खो सा गया था वो उसे देखना चाहता था।


उधर हिमानी भी अपनी माँ के साथ काम में लगी थी।

"बेटा आज  कल जा नही रही है  सेलनियों को लेकर क्या बात " वैशाली जी ने पूछा 

"माँ वो सब जगह दिखा दी उन लोगो को " हिमानी ने कहा

"क्या उन्होंने मंदिर नही देखा , क्या तू उन्हें वहा लेकर नही गयी " वैशाली जी ने पूछा


"माँ वो शहरी लड़के है , आप तो जानती हो शहर के लोगो को, उनकी भगवान में कहा इतनी आस्था होती है  जितनी हम लोग रखते है , वैसे भी वो अमीर लोग है  " हिमानी ने कहा


"सही कहा तूने, आज कल के बच्चें ना जाने किस राह पर निकल पड़े है , अपने धर्म, रीति रीवाज़ अपनी संस्कृति को पहचानते ही नही, ना जाने क्या हो गया है  आज  कल की पीड़ी को, " वैशाली जी ने कहा


"छोड़ो भी माँ ये सब  बातें, ये बताओ आज  दोपहर में क्या बनाऊ  " हिमानी ने कहा

"लोकी की सब्ज़ी बना  ले तेरे हाथ की सब को पसंद आती है  " वैशाली जी ने कहा

"माँ, भव्या नही खाती है  लोकी की सब्जी " हिमानी ने कहा

"कोई बात नही उसके लिए दाल चावल बना दूँगी वैसे भी वो कॉलेज से कुछ ना कुछ खा कर ही आती  है  उसे घर का बना खाना अच्छा कहा लगता है  " वैशाली जी ने कहा

"ठीक है माँ, मैं बना दूँगी आप जाओ और आराम करो  " हिमानी ने कहा


"ठीक है  बेटा, आराम  करने के दिन तेरे है  और मुझे आराम करने का कह  रही है " वैशाली जी ने कहा

ओह माँ,अब फिर शुरू मत हो जाना, आप जाओ जाकर आराम करो  मैं बना लूंगी , जितने भी दिन यहाँ हूँ  देखो माँ बाहर बादल है , कपडे सूख गए होंगे कही बारिश  आ  जाए मैं जाकर उतार लेती हूँ। हिमानी ने कहा और जाने लगी।


"रुक मैं भी आती हूँ तेरी मदद को सारे काम अकेले ही करती है  " वैशाली जी ने कहा और उसके पीछे चली गयी ।


धीरे धीरे दोपहर हुयी और दोपहर से शाम हो गयी। हंशित ने सारी तस्वीरे जो अब तक ली थी उन्हें एडिट करके वेबसाइट पर अपलोड कर दिया था  और वो लोगो द्वारा पसंद भी की जा रही थी ।


तभी उसकी नज़र  हिमानी की तस्वीर पर पड़ी जिसे वो देखने लगा और बोला " तुम्हे देखने का दिल कर रहा है  काश मेरे पंख होते और मैं उड़ कर तुम्हे कही दूर ले जाता  "हंशित ये कहता तब ही उसके दिमाग़ में विचार आया  और उसने लव को आवाज़  दी और बोला " यार हिमानी से मिलने का दिल कर रहा है  क्यू ना रात को उसके घर की तरफ  चला जाए "


"पागल है  क्या, अगर पकडे गए तो, पता  है  सब लोग मिल कर हमें इतना मारेंगे की हमारा चेहरा भी पहचानने में नही आएगा  समझा  " लव ने कहा

"तू कुछ भी कह , लेकिन मैं जाऊंगा तुझे चलना है  तो बता  वरना मैं अकेला हो आऊंगा  "हंशित ने कहा

"भाई  मुझे शौक नही पिटने का बेवजह तुझे जाना है  तो जा मैं नही आऊंगा  " लव ने कहा
"ठीक  है  मत आना  मैं खुद चला जाऊंगा रात को उससे मिलने " हंशित ने कहा और रात होने का इंतज़ार करने लगा  


क्या हंशित अकेले ही जाएगा हिमानी से मिलने या फिर लव भी उसका साथ देगा जानने के लिए पढ़ते रहिये  

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9 Comments

Khan

09-Aug-2022 12:01 AM

Osm

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Aniya Rahman

08-Aug-2022 11:41 PM

Nice

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Chudhary

08-Aug-2022 11:22 PM

Nice

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